जी हां सरजी बिल्कुल सही पड़ा आपने,ये एक काम ऐसा रह गया,जिसमें भारत पाकिस्तान से पीछे हो गया।और वो है। खुश हाली।
हाल ही में जारी 'वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट-2018' में भारत को 133वां स्थान मिला है. पिछले वर्ष भारत का स्थान 122वां था.
इस बार सरवे में शामिल 156 देशों में भारत का स्थान इतना नीचे है, जितना कि अफ्रीका के कुछ बेहद पिछड़े देशों का है.
हैरान करने वाली बात यह है कि इस सूचकांक में चीन जैसा सबसे बड़ी आबादी वाला देश ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश,श्रीलंका और म्यांमार जैसे छोटे-छोटे पड़ोसी देश भी ख़ुशहाली के मामले में भारत से ऊपर हैं.
यानी इन देशों के नागरिक भारतीयों के मुकाबले ज़यादा ख़ुश है।
चलिए आपको बताते है,क्या होती है वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट?
वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट' संयुक्त राष्ट्र का एक संस्थान 'सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क' (एसडीएसएन) हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरवे करके जारी करता है.
इसमें अर्थशास्त्रियों की एक टीम समाज में सुशासन, प्रति व्यक्ति आय, स्वास्थ्य, जीवित रहने की उम्र, भरोसा, सामाजिक सहयोग, स्वतंत्रता, उदारता आदि पैमानों पर दुनिया के सारे देशों के नागरिकों के इस अहसास को नापती है कि वे कितने ख़ुश हैं.
इस साल जो 'वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट' जारी हुई है, उसके मुताबिक भारत उन चंद देशों में से हैं, जो नीचे की तरफ़ खिसके हैं. हालांकि भारत की यह स्थिति खुद में कोई चौंकाने वाली नहीं है।
यह गुत्थी भी कम दिलचस्प नहीं है कि पाकिस्तान (75), नेपाल (101) और बांग्लादेश (115) जैसे देश इस रिपोर्ट में आख़िर हमसे ऊपर क्यों हैं,
दिलचस्प बात है कि पांच साल पहले यानी 2013 की रिपोर्ट में भारत 111वें नंबर पर था.जो अब 133 वे नंबर पर पहुच चुका है ।
पिछले साल भारत का स्थान 122 वा था।यानी हर साल भारत खुशहाली के मामले में पिछड़ता गया।
दरअसल, यह रिपोर्ट इस हक़ीक़त को भी साफ़तौर पर रेखांकित करती है कि केवल आर्थिक समृद्धि ही किसी समाज में ख़ुशहाली नहीं ला सकती.
इसीलिए आर्थिक समृद्धि के प्रतीक माने जाने वाले अमरीका (18), ब्रिटेन (19) और संयुक्त अरब अमीरात (20) भी दुनिया के सबसे ख़ुशहाल 10 देशों में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं.
किसी भी देश की तरक्की को मापने का सबसे प्रचलित पैमाना जीडीपी या विकास दर है. लेकिन इसे लेकर कई सवाल उठते रहे हैं.
एक तो यह कि यह किसी देश की कुल अर्थव्यवस्था की गति को तो सूचित करता है, पर इससे यह पता नहीं चलता कि आम लोगों तक उसका लाभ पहुंच रहा है या नहीं.
दूसरे, जीडीपी का पैमाना केवल उत्पादन-वृद्धि के लिहाज़ से किसी देश की तस्वीर पेश करता है.
अब बात करते है के दुनिया का सबसे खुश हाल देश किसे माना गया है ।
ताज़ा 'हैपिनेस रिपोर्ट' में फिनलैंड दुनिया का सबसे ख़ुशहाल मुल्क है.
पिछले साल फिनलैंड इस सूची में पांचवें स्थान पर था. लेकिन एक साल में ही वह पांचवें से पहले स्थान पर आ गया.
फिनलैंड को दुनिया में सबसे स्थिर, सबसे सुरक्षित और सबसे सुशासन वाले देश का दर्जा दिया गया है.
उसकी पुलिस दुनिया में सबसे ज़्यादा साफ़-सुथरी और भरोसेमंद है. वहां हर नागरिक को मुफ़्त इलाज की सुविधा प्राप्त है, जो देश के लोगों की खुशहाली की बड़ी वजह है.
वर्ष 2018 की रिपोर्ट में सबसे खुशहाल मुल्कों में फिनलैंड के बाद क्रमश: नॉर्वे, डेनमार्क, आइसलैंड, स्विट्ज़रलैंड, नीदरलैंड, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया का नंबर है.
अब भारत इस रिपोर्ट में किस लिए पीछे राह गया इस बात को शायद हम भारतीयों से ज़्यादा अच्छी तरह कोई नही समझ पायेगा।
इन सभी बातों को देखते हुए यह बात बिल्कुल सच साबित होती है के ।
कमा लेंगे दुनिया हम,
कमा लेंगे शोहरत भी।
खुशी यू ना मिल पाएगी
चाहे तोड़ ले तारे हम।
हाल ही में जारी 'वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट-2018' में भारत को 133वां स्थान मिला है. पिछले वर्ष भारत का स्थान 122वां था.
इस बार सरवे में शामिल 156 देशों में भारत का स्थान इतना नीचे है, जितना कि अफ्रीका के कुछ बेहद पिछड़े देशों का है.
हैरान करने वाली बात यह है कि इस सूचकांक में चीन जैसा सबसे बड़ी आबादी वाला देश ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश,श्रीलंका और म्यांमार जैसे छोटे-छोटे पड़ोसी देश भी ख़ुशहाली के मामले में भारत से ऊपर हैं.
यानी इन देशों के नागरिक भारतीयों के मुकाबले ज़यादा ख़ुश है।
चलिए आपको बताते है,क्या होती है वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट?
वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट' संयुक्त राष्ट्र का एक संस्थान 'सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क' (एसडीएसएन) हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरवे करके जारी करता है.
इसमें अर्थशास्त्रियों की एक टीम समाज में सुशासन, प्रति व्यक्ति आय, स्वास्थ्य, जीवित रहने की उम्र, भरोसा, सामाजिक सहयोग, स्वतंत्रता, उदारता आदि पैमानों पर दुनिया के सारे देशों के नागरिकों के इस अहसास को नापती है कि वे कितने ख़ुश हैं.
इस साल जो 'वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट' जारी हुई है, उसके मुताबिक भारत उन चंद देशों में से हैं, जो नीचे की तरफ़ खिसके हैं. हालांकि भारत की यह स्थिति खुद में कोई चौंकाने वाली नहीं है।
यह गुत्थी भी कम दिलचस्प नहीं है कि पाकिस्तान (75), नेपाल (101) और बांग्लादेश (115) जैसे देश इस रिपोर्ट में आख़िर हमसे ऊपर क्यों हैं,
दिलचस्प बात है कि पांच साल पहले यानी 2013 की रिपोर्ट में भारत 111वें नंबर पर था.जो अब 133 वे नंबर पर पहुच चुका है ।
पिछले साल भारत का स्थान 122 वा था।यानी हर साल भारत खुशहाली के मामले में पिछड़ता गया।
दरअसल, यह रिपोर्ट इस हक़ीक़त को भी साफ़तौर पर रेखांकित करती है कि केवल आर्थिक समृद्धि ही किसी समाज में ख़ुशहाली नहीं ला सकती.
इसीलिए आर्थिक समृद्धि के प्रतीक माने जाने वाले अमरीका (18), ब्रिटेन (19) और संयुक्त अरब अमीरात (20) भी दुनिया के सबसे ख़ुशहाल 10 देशों में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं.
किसी भी देश की तरक्की को मापने का सबसे प्रचलित पैमाना जीडीपी या विकास दर है. लेकिन इसे लेकर कई सवाल उठते रहे हैं.
एक तो यह कि यह किसी देश की कुल अर्थव्यवस्था की गति को तो सूचित करता है, पर इससे यह पता नहीं चलता कि आम लोगों तक उसका लाभ पहुंच रहा है या नहीं.
दूसरे, जीडीपी का पैमाना केवल उत्पादन-वृद्धि के लिहाज़ से किसी देश की तस्वीर पेश करता है.
अब बात करते है के दुनिया का सबसे खुश हाल देश किसे माना गया है ।
ताज़ा 'हैपिनेस रिपोर्ट' में फिनलैंड दुनिया का सबसे ख़ुशहाल मुल्क है.
पिछले साल फिनलैंड इस सूची में पांचवें स्थान पर था. लेकिन एक साल में ही वह पांचवें से पहले स्थान पर आ गया.
फिनलैंड को दुनिया में सबसे स्थिर, सबसे सुरक्षित और सबसे सुशासन वाले देश का दर्जा दिया गया है.
उसकी पुलिस दुनिया में सबसे ज़्यादा साफ़-सुथरी और भरोसेमंद है. वहां हर नागरिक को मुफ़्त इलाज की सुविधा प्राप्त है, जो देश के लोगों की खुशहाली की बड़ी वजह है.
वर्ष 2018 की रिपोर्ट में सबसे खुशहाल मुल्कों में फिनलैंड के बाद क्रमश: नॉर्वे, डेनमार्क, आइसलैंड, स्विट्ज़रलैंड, नीदरलैंड, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया का नंबर है.
अब भारत इस रिपोर्ट में किस लिए पीछे राह गया इस बात को शायद हम भारतीयों से ज़्यादा अच्छी तरह कोई नही समझ पायेगा।
इन सभी बातों को देखते हुए यह बात बिल्कुल सच साबित होती है के ।
कमा लेंगे दुनिया हम,
कमा लेंगे शोहरत भी।
खुशी यू ना मिल पाएगी
चाहे तोड़ ले तारे हम।
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