जी हा सही पड़ा आपने इस इंसान को गालियां देने का ही दिल चाहता है। इसकी वजह अगर आप भी जानेंगे तो आप भी इस शक्स को बिना गालियां दिए नही रह पाएंगे।
कई दिनों से आपने अखबार, न्यूज़ चैनल, व्हाट्सएप, फ़ेसबुक पर सीरिया में हो रही जंग के बारे में सुना होगा। इस युद्ध की वजह क्या है?
क्यों हो रही है जंग
तो चलिए सबसे पहले आपको इस शख्स के बारे में बताते है। इस शख्स का नाम बशर अल-असद है। जो खुद को सीरिया का राष्ट्रपति कहता है। इसके "बाप", अल असद हाफेज़ ने 29 साल तक सीरया पर शासन किया था। अल - असद 2000 में निर्वाचित किया गया था।
सीरिया में सबसे बड़ा धार्मिक समूह सुन्नी मुसलमान है जो लगभग 75% आबादी का हिस्सा है।जबकि क्रिस्चियन लगभग 11.2% और शिया समुदाय केवल 5% ही है।
अगर मैं आपको एक ऐसे देश के बारे में बताउ जहा लोगो को अपनी मर्ज़ी से वहा के राष्ट्रयपति या फिर कोई भी बड़ा नेता चुनने का अधिकार ना हो,और जो पहले से ही राजा हो, उसी के नियमो को मानना पड़े, और वो हर रोज़ उनके खिलाफ उनके धर्म के खिलाफ कुछ नए कानून निकाले,तो आप वह के लोगो को क्या सलाह देना चाहेंगे। ज़ाहिर है आप उन्हें ज़ुल्म के खिलाफ उस देश की हुकूमत के खिलाफ आवाज़ उठाने की सलाह देंगे।जी हा बिल्कुल यही सीरिया के लोगो ने भी किया।
बशर असद शिया समुदाय से संबंध रखता है ।जबकि सीरिया में सुन्नी लोगो की संख्या सबसे ज़्यादा लगभग 75% से भी ज़्यादा है। जब इस शिया राष्ट्रपति के नए नए ज़ुल्म सुन्नी लोगो पर बढ़ते गए तो वहा के लोगो ने वहा इलेक्शन के द्वारा राष्ट्रपति चुनने की बात इस नीच इंसान के सामने रखी। लेकिन सत्ता के नशे में धुत इस शक्स ने वहा के लोगो पर और भी ज़ुल्म करने शुरू कर दिए यहा तक कि उन पर सेना और हथियारों का इस्तेमाल,महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया। लेकिन जब इस शख्स की ज़ुल्म की इन्तेहा ने अपनी हद पार कर ली तो वह के लोगो को हथियार उठाने पड़े ।ज़ाहिर है अपने माँ, बाप,बीवी ,बच्चों को कोई इस हालत में कैसे देख सकता है।
वहा के लोगो ने हथियार उठाये और सरकार के खिलाफ खड़े हुए और कई पार्टिया बनाकर सरकार का विरोध किया ।जब असद अल बसर को लगा के उसकी गद्दी खतरे में है तो उसने बेगुनाह लोगो पर सेना से हमले करवाये जिसमे अब तक न जाने कितने ही मासूम बच्चों, औरतो, बुज़ुर्गों की जाने जा चुकी है।
इतना ही नही जब इसकी सेना उन लोगो के सामने कमज़ोर पड़ने लगी तो इसने रूस और ईरान जैसे देशों से मदद मांगी ।क्योंकि ईरान खुद एक शिया देश है तो उसकी मदद करता ही लेकिन रूस और रशिया जैसे देशो ने भी इसका साथ दिया।अब उन्होने किस लिए इसका साथ दिया ये बात आप बखूबी जानते होंगे ।
उधर अमेरिका, सऊदी अरब,तुर्की जैसे देशों ने वहा के लोगो का साथ दिया।
और इस तरह इस एक देश की लड़ाई 7 सेभी ज़्यादा देशो की लड़ाई बन चुकी है। इन सभी देशो की सेनाए इस वक़्त सीरिया में हाज़िर है और सभी नियमो और कानूनों को ताक पर रखकर वहा के लोगो पर हर तरह के ख़ौफ़नाक ज़ुल्म कर रही है।क्योंकि यहा सुन्नी बहुसंख्यक लगभग 75% रहते है इस लिए इस लड़ाई में सबसे ज़्यादा जो ज़ुल्म हो रहे है वो इन्ही पर हो रहे है।
हज़ारों जाने लेने के अलावा इस युद्ध ने 15 लाख लोगों को स्थाई रूप से विकलांग कर दिया है.
इनमें से 86 हज़ार लोगों के हाथ या पैर काटने पड़े हैं.
कम से कम 61 लाख सीरियाई लोग देश के भीतर विस्थापित हो चुके हैं.
इसके अलावा 56 लाख लोग देश के बाहर शरण ले चुके हैं.
इनमें से 92 फ़ीसद सीरियाई पड़ोसी लेबनान, तुर्की और जॉर्डन में रहते हैं.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस वर्ष सीरिया में क़रीब एक करोड़ तीस लाख लोगों को मानवीय मदद की ज़रूरत होगी.
क़रीब 30 लाख लोग जंग के बीच में घिरे हुए हैं जिन तक किसी भी तरह की मदद पहुंचाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. इन लड़ाइयों की बदौलत ही ये देश एक खण्डल बन चुका है जहाँ जगह जगह बोम्ब के धमाको के निशान विरानापन नज़र आता है।यह कहना गलत नही होगा कि ये देश एक कब्रिस्तान बन चुका है।
इतना सब कुछ हो रहा है लेकिन ये "कुत्ता" अपनी गद्दी छोड़ने को तैयार नही।
हैरानी होती है के कोई इस क़दर सत्ता के नशे में चूर हो सकता है के उन मासूमो की चीखो के बीच भी बड़े ही आराम से अपनी ज़िन्दगी गुज़ार सकता है।
लेकिन फिर हिटलर की याद आती है के हा ऐसे भी लोग हो सकते है। जो अपने आराम के लिए किसी की ज़िंदगियो से खेल सकते है।
इस समय दमिश्क के उप-नगर पूर्वी ग़ूटा पर सीरियाई सेना ज़बरदस्त हमले कर रही है। यहा 393000 लोग जंग के बीच फंसे हैं. शहर में खाने-पीने के सामान की भारी किल्लत है.
अब बात ये आती है कि इन सब मे हम आम लोगो का क्या रोल होना चाहिए।तो इसका जवाब है कि बशर अल असद के खिलाफ जो भी हमसे हो सके फिर चाहे ऑनलाइन या फिर किसी और तरह से जो भी हो सके हमे इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी ही चाहिये।क्योंकि जो आज उनके साथ हो रहा है ज़रूरी नही के आप कभी इस तरह की मुश्किल में फस ही नही सकते।
कई दिनों से आपने अखबार, न्यूज़ चैनल, व्हाट्सएप, फ़ेसबुक पर सीरिया में हो रही जंग के बारे में सुना होगा। इस युद्ध की वजह क्या है?
क्यों हो रही है जंग
तो चलिए सबसे पहले आपको इस शख्स के बारे में बताते है। इस शख्स का नाम बशर अल-असद है। जो खुद को सीरिया का राष्ट्रपति कहता है। इसके "बाप", अल असद हाफेज़ ने 29 साल तक सीरया पर शासन किया था। अल - असद 2000 में निर्वाचित किया गया था।
सीरिया में सबसे बड़ा धार्मिक समूह सुन्नी मुसलमान है जो लगभग 75% आबादी का हिस्सा है।जबकि क्रिस्चियन लगभग 11.2% और शिया समुदाय केवल 5% ही है।
अगर मैं आपको एक ऐसे देश के बारे में बताउ जहा लोगो को अपनी मर्ज़ी से वहा के राष्ट्रयपति या फिर कोई भी बड़ा नेता चुनने का अधिकार ना हो,और जो पहले से ही राजा हो, उसी के नियमो को मानना पड़े, और वो हर रोज़ उनके खिलाफ उनके धर्म के खिलाफ कुछ नए कानून निकाले,तो आप वह के लोगो को क्या सलाह देना चाहेंगे। ज़ाहिर है आप उन्हें ज़ुल्म के खिलाफ उस देश की हुकूमत के खिलाफ आवाज़ उठाने की सलाह देंगे।जी हा बिल्कुल यही सीरिया के लोगो ने भी किया।
बशर असद शिया समुदाय से संबंध रखता है ।जबकि सीरिया में सुन्नी लोगो की संख्या सबसे ज़्यादा लगभग 75% से भी ज़्यादा है। जब इस शिया राष्ट्रपति के नए नए ज़ुल्म सुन्नी लोगो पर बढ़ते गए तो वहा के लोगो ने वहा इलेक्शन के द्वारा राष्ट्रपति चुनने की बात इस नीच इंसान के सामने रखी। लेकिन सत्ता के नशे में धुत इस शक्स ने वहा के लोगो पर और भी ज़ुल्म करने शुरू कर दिए यहा तक कि उन पर सेना और हथियारों का इस्तेमाल,महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया। लेकिन जब इस शख्स की ज़ुल्म की इन्तेहा ने अपनी हद पार कर ली तो वह के लोगो को हथियार उठाने पड़े ।ज़ाहिर है अपने माँ, बाप,बीवी ,बच्चों को कोई इस हालत में कैसे देख सकता है।
वहा के लोगो ने हथियार उठाये और सरकार के खिलाफ खड़े हुए और कई पार्टिया बनाकर सरकार का विरोध किया ।जब असद अल बसर को लगा के उसकी गद्दी खतरे में है तो उसने बेगुनाह लोगो पर सेना से हमले करवाये जिसमे अब तक न जाने कितने ही मासूम बच्चों, औरतो, बुज़ुर्गों की जाने जा चुकी है।
इतना ही नही जब इसकी सेना उन लोगो के सामने कमज़ोर पड़ने लगी तो इसने रूस और ईरान जैसे देशों से मदद मांगी ।क्योंकि ईरान खुद एक शिया देश है तो उसकी मदद करता ही लेकिन रूस और रशिया जैसे देशो ने भी इसका साथ दिया।अब उन्होने किस लिए इसका साथ दिया ये बात आप बखूबी जानते होंगे ।
उधर अमेरिका, सऊदी अरब,तुर्की जैसे देशों ने वहा के लोगो का साथ दिया।
और इस तरह इस एक देश की लड़ाई 7 सेभी ज़्यादा देशो की लड़ाई बन चुकी है। इन सभी देशो की सेनाए इस वक़्त सीरिया में हाज़िर है और सभी नियमो और कानूनों को ताक पर रखकर वहा के लोगो पर हर तरह के ख़ौफ़नाक ज़ुल्म कर रही है।क्योंकि यहा सुन्नी बहुसंख्यक लगभग 75% रहते है इस लिए इस लड़ाई में सबसे ज़्यादा जो ज़ुल्म हो रहे है वो इन्ही पर हो रहे है।
हज़ारों जाने लेने के अलावा इस युद्ध ने 15 लाख लोगों को स्थाई रूप से विकलांग कर दिया है.
इनमें से 86 हज़ार लोगों के हाथ या पैर काटने पड़े हैं.
कम से कम 61 लाख सीरियाई लोग देश के भीतर विस्थापित हो चुके हैं.
इसके अलावा 56 लाख लोग देश के बाहर शरण ले चुके हैं.
इनमें से 92 फ़ीसद सीरियाई पड़ोसी लेबनान, तुर्की और जॉर्डन में रहते हैं.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस वर्ष सीरिया में क़रीब एक करोड़ तीस लाख लोगों को मानवीय मदद की ज़रूरत होगी.
क़रीब 30 लाख लोग जंग के बीच में घिरे हुए हैं जिन तक किसी भी तरह की मदद पहुंचाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. इन लड़ाइयों की बदौलत ही ये देश एक खण्डल बन चुका है जहाँ जगह जगह बोम्ब के धमाको के निशान विरानापन नज़र आता है।यह कहना गलत नही होगा कि ये देश एक कब्रिस्तान बन चुका है।
इतना सब कुछ हो रहा है लेकिन ये "कुत्ता" अपनी गद्दी छोड़ने को तैयार नही।
हैरानी होती है के कोई इस क़दर सत्ता के नशे में चूर हो सकता है के उन मासूमो की चीखो के बीच भी बड़े ही आराम से अपनी ज़िन्दगी गुज़ार सकता है।
लेकिन फिर हिटलर की याद आती है के हा ऐसे भी लोग हो सकते है। जो अपने आराम के लिए किसी की ज़िंदगियो से खेल सकते है।
इस समय दमिश्क के उप-नगर पूर्वी ग़ूटा पर सीरियाई सेना ज़बरदस्त हमले कर रही है। यहा 393000 लोग जंग के बीच फंसे हैं. शहर में खाने-पीने के सामान की भारी किल्लत है.
अब बात ये आती है कि इन सब मे हम आम लोगो का क्या रोल होना चाहिए।तो इसका जवाब है कि बशर अल असद के खिलाफ जो भी हमसे हो सके फिर चाहे ऑनलाइन या फिर किसी और तरह से जो भी हो सके हमे इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी ही चाहिये।क्योंकि जो आज उनके साथ हो रहा है ज़रूरी नही के आप कभी इस तरह की मुश्किल में फस ही नही सकते।
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